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उन्नाव घटना की उच्च स्तरीय एवं स्वतंत्र न्यायिक जांच हो: दलित बालिकाओं और महिलाओं पर हिंसा अब और नहीं !

‘आदित्य राज’ में महिला विरोधी ‘कानून व्यवस्था’ निंदनीय! उत्तर प्रदेश सरकार इस्तीफा दे!  

उत्तर प्रदेश महिला और दलित उत्पीडन के मामले में सबसे आगे है, ये बात आंकड़े तो बता ही रहे है, आए दिन सामने आती घटनाएं भी इसकी मुनादी कर रही हैं कि उत्तर प्रदेश की सरकार इन्हें रोकने के लिए कोई कदम नहीं उठा रही है। 17 फरवरी 2021 को फिर से उन्नाव जिले के बबुरहा गांव से दो नाबालिग दलित लड़कियों की संदिग्ध परिस्थितियों में हत्या की घटना सामने आई, एक तीसरी नाबालिग दलित लड़की मौत से जूझ रही है। WSS इन लगातार बढ़ती घटनाओं पर अपना आक्रोश व्यक्त करते हुए, इस पूरी घटना की उच्च स्तरीय एवं स्वतंत्र न्यायिक जांच की मांग करता है, क्योंकि हाथरस मामले की तरह इस घटना में भी ‘साक्ष्य मिटाने’ और कुछ लोगों पर ‘दबाव डालने’ की बातें सामने आ रही है।

ताज़ा खबरों के अनुसार पुलिस ने 21 साल के विनय कुमार को इस अपराध में मुख्य दोषी ठहराते हुए, गिरफ्तार कर लिया गया हैं, और साथ में, एक और व्यक्ति को विनय की मदद करने के आरोप में, हिरासत में लिया गया है| पुलिस का कथन है कि विनय ने अपने प्यार ठुकराये जाने पर, यह अपराध किया | 17 फरवरी को उन्नाव के असोहा थाना क्षेत्र के बाबुरहा गांव, जो कि ब्राह्मण बहुल है, में एक दलित परिवार की तीन लड़कियां हमेशा की तरह दोपहर में चारा लेने निकली थीं. शाम को जब वह देर तक नहीं लौटीं तो उनके परिवारवाले चिंतित होके, उन्हें ढूंढ़ने निकले. देर रात वे अपने खेत में पड़ी हुई मिली, उनके मुंह से झाग निकल रहा था और हाथ-पाँव बंधे हुए थे । तीनों लड़कियों को कानपुर के हैलट अस्पताल में भर्ती किया गया, जहां पहुँचते ही दो लड़कियों को मृत घोषित किया गया और तीसरी लड़की अभी एक गंभीर अवस्था में वेंटिलेटर पर है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत का कारण जहरीली पदार्थ का सेवन बताया गया है, किसी तरह के बाहरी और आंतरिक चोट का न होना बताया गया है, और उनके हाथ पैर बंधे होने की बात नहीं मानी गई है।

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24 वर्षीय दलित कार्यकर्ता नोदीप कौर को कुण्डली औद्योगिक क्षेत्र से हरियाणा पुलिस द्वारा की गई गिरफ्तारी और हिरासत में उनके साथ हुई यौन हिंसा की WSS कड़े शब्दों में निंदा करती है।

हम मांग करते हैं कि मज़दूर अधिकार संगठन (एम. ए. एस.) के कार्यकर्ताओं नोदीप कौर और शिव कुमार को तुरंत रिहा किया जाए। हम मांग करते हैं कि हरियाणा पुलिस मजदूरों एवं किसानों को निशाना बनाना बंद करे।

12 जनवरी को कुण्डली औद्योगिक क्षेत्र में एक श्रमिक रैली का आयोजन होता है जिसमें बकाया मजदूरी की मांग करने वाले श्रमिकों पर हरियाणा पुलिस द्वारा गोलीबारी किया जाता है, पुलिस का दावा है कि आंदोलनकारी श्रमिक फैक्ट्री मालिकों से जबरन वसूली कर रहे थे। आयोजन में हुए अचानक गोलीबारी से चारो दिशा में भगदड़ होती है जिसमें एक 24 वर्षीय दलित कार्यकर्ता नोदीप कौर को पुलिस द्वारा पकड़ लिया गया और उन्हें बेरहमी से पीटा जाता है। उन्हें पीट रहे सारे पुरुष पुलिस थे। उनमें एक भी महिला पुलिस कर्मी नहीं थी। पुलिस उनके गुप्तांगों को खास निशाना बना कर पीटती है और वहां से कुण्डली पुलिस स्टेशन तक लगभग घसीटते हुए ले जाती है।

कुण्डली थाना ले जाने के बाद उन्हें गिरफ्तार कर उनके खिलाफ दो एफआईआर दर्ज की गई, एफआईआर 25/2021 और 26/2021; भारतीय दंड संहिता की धारा 148, 149, 186, 332, 352, 384, 379B और 307 के तहत एक और अन्य के तहत धारा 148, 149, 323, 452, 384 और 506 की उसपर एक सुनियोजित तरीके से दंगा भड़काने सहित कई आरोप लगाए गए हैं जिनमें सरकारी मुलाजिम को चोट पहुंचाना, मजमा लगा कर अपराधिक हमला, जबरन वसूली, धमकी और हत्या की कोशिश आदि है। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि नोदीप कौर को हिरासत में लिए जाने के बाद भी पुलिस द्वारा उन्हें बेरहमी से पीटा जाता है। उनके शरीर पर जिस प्रकार की गंभीर चोटें हैं, उससे यह साबित है कि उनके साथ हिरासत में यौन हिंसा की गई है। उन तमाम जख्मों के बाद भी उन्हें बिना किसी चिकित्सीय उपचार या सहायता दिए करनाल जेल में बंद कर दिया जाता है। जेल में उन्हें केवल एक ही व्यक्ति – अपनी बहन से मिलने की अनुमति दी गई है पर ज़ख़्मों के चलते नोदीप उन से भी ठीक से बात नहीं कर पा रही हैं। हिरासत में दो हफ्ते से ज्यादा वक़्त बीत जाने के बाद 25 जनवरी को उन्हें वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से अदालत में पेश किया गया। पुलिस हिरासत में अपने पीटे जाने के बारे में अवगत कराने के बाद अदालत ने उनका मेडिकल परीक्षण कराने का आदेश दिया, मगर परिवार को मेडिकल जांच रिपोर्ट नहीं दी गई है। इस बीच मजदूर अधिकार संगठन (एम. ए. एस.) के एक और दलित कार्यकर्ता शिव कुमार को भी हरियाणा पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। एक तरफ किसान–मजदूर अधिकार के लिए संघर्षरत कार्यकर्ताओं पर पुलिस बर्बरता जारी है तो दूसरी तरफ सच्चाई सामने ला रहे मनदीप पुनिया जैसे स्वतंत्र पत्रकार को गिरफ्तार किया जा रहा है। वे दो महीने से ज्यादा के समय से किसान आन्दोलन को काफी नजदीक से कवर कर रहे थे, उन्होंने कुण्डली क्षेत्र में मजदूर-किसान एकता के मुद्दों को भी कवर किया था। अभी हाल ही में 29 जनवरी 2021 को अलग–अलग धरना स्थलों में किसानों पर हमला किया गया था, इस हमले के पीछे भाजपा–पुलिस के षडयंत्रकारी चेहरे को उसने सबके सामने लाने का काम किया है।

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