24 वर्षीय दलित कार्यकर्ता नोदीप कौर को कुण्डली औद्योगिक क्षेत्र से हरियाणा पुलिस द्वारा की गई गिरफ्तारी और हिरासत में उनके साथ हुई यौन हिंसा की WSS कड़े शब्दों में निंदा करती है।

हम मांग करते हैं कि मज़दूर अधिकार संगठन (एम. ए. एस.) के कार्यकर्ताओं नोदीप कौर और शिव कुमार को तुरंत रिहा किया जाए। हम मांग करते हैं कि हरियाणा पुलिस मजदूरों एवं किसानों को निशाना बनाना बंद करे।

12 जनवरी को कुण्डली औद्योगिक क्षेत्र में एक श्रमिक रैली का आयोजन होता है जिसमें बकाया मजदूरी की मांग करने वाले श्रमिकों पर हरियाणा पुलिस द्वारा गोलीबारी किया जाता है, पुलिस का दावा है कि आंदोलनकारी श्रमिक फैक्ट्री मालिकों से जबरन वसूली कर रहे थे। आयोजन में हुए अचानक गोलीबारी से चारो दिशा में भगदड़ होती है जिसमें एक 24 वर्षीय दलित कार्यकर्ता नोदीप कौर को पुलिस द्वारा पकड़ लिया गया और उन्हें बेरहमी से पीटा जाता है। उन्हें पीट रहे सारे पुरुष पुलिस थे। उनमें एक भी महिला पुलिस कर्मी नहीं थी। पुलिस उनके गुप्तांगों को खास निशाना बना कर पीटती है और वहां से कुण्डली पुलिस स्टेशन तक लगभग घसीटते हुए ले जाती है।

कुण्डली थाना ले जाने के बाद उन्हें गिरफ्तार कर उनके खिलाफ दो एफआईआर दर्ज की गई, एफआईआर 25/2021 और 26/2021; भारतीय दंड संहिता की धारा 148, 149, 186, 332, 352, 384, 379B और 307 के तहत एक और अन्य के तहत धारा 148, 149, 323, 452, 384 और 506 की उसपर एक सुनियोजित तरीके से दंगा भड़काने सहित कई आरोप लगाए गए हैं जिनमें सरकारी मुलाजिम को चोट पहुंचाना, मजमा लगा कर अपराधिक हमला, जबरन वसूली, धमकी और हत्या की कोशिश आदि है। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि नोदीप कौर को हिरासत में लिए जाने के बाद भी पुलिस द्वारा उन्हें बेरहमी से पीटा जाता है। उनके शरीर पर जिस प्रकार की गंभीर चोटें हैं, उससे यह साबित है कि उनके साथ हिरासत में यौन हिंसा की गई है। उन तमाम जख्मों के बाद भी उन्हें बिना किसी चिकित्सीय उपचार या सहायता दिए करनाल जेल में बंद कर दिया जाता है। जेल में उन्हें केवल एक ही व्यक्ति – अपनी बहन से मिलने की अनुमति दी गई है पर ज़ख़्मों के चलते नोदीप उन से भी ठीक से बात नहीं कर पा रही हैं। हिरासत में दो हफ्ते से ज्यादा वक़्त बीत जाने के बाद 25 जनवरी को उन्हें वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से अदालत में पेश किया गया। पुलिस हिरासत में अपने पीटे जाने के बारे में अवगत कराने के बाद अदालत ने उनका मेडिकल परीक्षण कराने का आदेश दिया, मगर परिवार को मेडिकल जांच रिपोर्ट नहीं दी गई है। इस बीच मजदूर अधिकार संगठन (एम. ए. एस.) के एक और दलित कार्यकर्ता शिव कुमार को भी हरियाणा पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। एक तरफ किसान–मजदूर अधिकार के लिए संघर्षरत कार्यकर्ताओं पर पुलिस बर्बरता जारी है तो दूसरी तरफ सच्चाई सामने ला रहे मनदीप पुनिया जैसे स्वतंत्र पत्रकार को गिरफ्तार किया जा रहा है। वे दो महीने से ज्यादा के समय से किसान आन्दोलन को काफी नजदीक से कवर कर रहे थे, उन्होंने कुण्डली क्षेत्र में मजदूर-किसान एकता के मुद्दों को भी कवर किया था। अभी हाल ही में 29 जनवरी 2021 को अलग–अलग धरना स्थलों में किसानों पर हमला किया गया था, इस हमले के पीछे भाजपा–पुलिस के षडयंत्रकारी चेहरे को उसने सबके सामने लाने का काम किया है।

2 जनवरी को मनदीप पुनिया को बेल प्राप्त हुई है। नोदीप पर दर्ज मुकदमों की गम्भीरता को आधार बनाते हुए लोअर कोर्ट से दोनों एफआईआर में उनकी जमानत खारिज कर दी गई है। ऐसा पता चला है कि शिव कुमार को हरियाणा पुलिस ने 23 जनवरी को ही गिरफ्तार कर लिया था, जिसकी सूचना उसके घर वालों को भी नहीं देकर हरियाणा पुलिस और संबंधित कोर्ट ने उसके संवैधानिक अधिकारों का हनन किया है। पुलिस हिरासत में उन्हें यातना दिए जाने की आशंका व्यक्त की जा रही है। शिव कुमार को पहले ही आंख से बहुत कम दिखाई देता है जिसका इलाज चल रहा था। यह गिरफ्तारी उनकी इस स्थिति को देखते हुए और भी यातना दाई होगी। नोदीप और शिव कुमार दोनो ही फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं और इनकी अगली सुनवाई 8 फरवरी को है। नोदीप और शिवकुमार दोनों ही दलित मजदूर हैं, इस कारण भी हरियाणा की सामंती मानसिकता वाली पुलिस ने दोनों को हिरासत में यातना दी है। एम.ए.एस को भी इसी कारण निशाना बना रही है। इस नजरिए से भी इस मामले की जांच होनी चाहिए।

नोदीप कौर मूल रूप से पंजाब के एक भूमिहीन किसान परिवार से आती हैं और कुण्डली में वो मजदूरी करती हैं। वो FIEM Industries Ltd. नामक कंपनी में नौकरी करती हैं, इस कंपनी का काम ऑटोमोटिव उद्योग के लिए रोशनी की व्यवस्था प्रदान करना है। कंपनी अपने सार्वजनिक सूची में दावा करती है कि वह 5000 से 10,000 कर्मचारियों के लिए रोजगार उत्पन्न कर काम मुहैया कराई है। इसका कॉर्पोरेट कार्यालय कुण्डली में है जबकि कंपनी का व्यावसायिक कार्यालय दिल्ली के कीर्ति नगर में स्थित है, इसका कारोबार 1,000 से 5,000 करोड़ रु प्रति वर्ष है। यह कंपनी होंडा, टीवीएस, सुजुकी, हार्ले-डेविडसन, महिंद्रा सहित अन्य ऑटोमोटिव कंपनियों में रोशनी व्यवस्था आपूर्ति करती है और इसके साथ ही अन्य कई विदेशी कंपनियों को भी आपूर्ति करती है।

नोदीप कौर यहां काम करने वाली हजारों महिलाओं में से एक हैं। COVID-19 लॉकडाउन के खत्म होते ही वह तुरंत कंपनी में शामिल हो गई थी। इस कंपनी में काम करने वालों में अधिकांश संख्या महिलाओं की है क्योंकि कुण्डली क्षेत्र से आने वाली महिलाएं कम मजदूरी अर्थात पुरुष मजदूरों की तुलना में आधी मजदूरी पर भी अनुबंध पर काम करने को तैयार रहती है। अगर पुरुष श्रमिकों को ₹9,500 से ₹10,000 प्रति माह प्राप्त होता है तो महिलाओं को इसकी आधी यानि ₹5,000 से ₹6,000 प्रति माह दिया जाता है जबकि हरियाणा में अकुशल कार्यों के लिए सरकार द्वारा न्यूनतम वेतन ₹9458 निर्धारित है। यह चौंकाने वाला तथ्य है, एक कंपनी जो देश में उच्च श्रेणी के महंगे वाहनों के हैडलाइट से लेकर बॉडी लाइट तक मुहैया कराती है, जिसका वार्षिक कारोबार भी शानदार है, वहां के कर्मियों में कार्य कौशल योग्यता होने के बावजूद, अधिकांश न्यूनतम से कम मजदूरी पर काम करने के लिए मजबूर हैं। इसके अलावा कारखाने के भीतर काम करने की स्थिति बहुत ही बदहाल है – बाथरूम या लंच ब्रेक के लिए पर्याप्त समय नहीं मिलता। श्रमिकों को 8 से 10 घंटे की शिफ्ट के दौरान खड़े रहना पड़ता है। इस तरह के भयावह श्रम और काम की शर्तों के बावजूद नोदीप और FIEM में कार्यरत अधिकांश कर्मियों को कई महीनों से मजदूरी नहीं मिली है, कुण्डली में अवस्थिति कंपनियों में कार्यरत अधिकांश श्रमिकों का कमोबेश यही हाल है।
जब महिलाएं मजदूरी मांगने के लिए एक साथ जाती थीं तो उन्हें बार-बार कंपनी के पुरुष सशस्त्र गुंडों द्वारा धमकाया जाता था। कंपनी के सशस्त्र गुंडों के अलावा कुण्डली इंडस्ट्रियल एसोसिएशन (KIA) के बैनर तले निर्माताओं और कंपनी मालिकों का क्विक रिस्पांस टीम (QRT) नाम का एक सशस्त्र बल है। इस टीम के द्वारा नोदीप को धमकाया गया की उन्होंने अपने साथ साथ दूसरों के बकाया भुगतान की बात उठाने की हिम्मत कैसे की! नोदीप के मज़दूर अधिकार संगठन (एम. ए. एस.) में जुड़ने के साथ इस प्रकार की धमकियों में इजाफा होने लगा।

नोदीप कौर कुण्डली में मौजूद मज़दूरों के एक संगठन ‘मज़दूर अधार संगठन’ (एमएएस) की हिस्सा हैं। लॉकडाउन के दौरान एमएएस ने सरकार से उनके बुनियादी सुविधा दिए जाने का प्रावधान लाए जाने की मांग सामने रखने के लिए श्रमिकों को एकजुट किया था। लॉकडाउन हटाए जाने के बाद उन्होंने बकाया मजदूरी और श्रम कानून के उल्लंघन के मामलों को उठाना शुरू कर दिया। नोदीप मुख्य रूप से महिला श्रमिकों के शोषण से जुड़े मामलों को उठा रही थी। एमएएस द्वारा उठाए जा रहे मुद्दों से एक स्थानीय प्रतिक्रियावादी संस्था ‘हिंदू जागृति मंच’ के कान खड़े हो गए, 24 मई 2020 को एमएएस के सदस्यों द्वारा एक मीटिंग रखा गया था जिसमें तालाबंदी के दौरान कुण्डली में फंसे प्रवासी श्रमिकों के लिए खाद्य पदार्थों की कमियों को दूर करने हेतु समाधान तय हो रहा था, उसी समय हिन्दू जागृति मंच के गुंडों द्वारा अचानक इस मीटिंग पर हिंसक हमला किया था।

COVID-19 लॉकडाउन के दौरान कुण्डली औधोगिक क्षेत्र के महिला और पुरुष श्रमिक, जिनमें देश भर के प्रवासी श्रमिक शामिल है, वे काफी दयनीय परिस्थितियों में जीवन बसर कर रहे है। मजदूरी नहीं मिलना, बचत का अभाव, अनुबंधित नौकरी खोने की सम्भावना होते हुए भी उन्होंने कुंडली के कारखाना मालिकों तथा उनके निजी सशस्त्र बलों की क्रूरता से बिना डरे, विरोध में आवाज उठाने की हिम्मत करते हैं, कम्पनी मालिकों व ठेकेदारों के खिलाफ रैलियां तथा कार्यक्रम भी आयोजित किया। अलग-अलग कारखानों में घूम कर श्रमिकों के बकाया भुगतान की मांग उठाई। अपने लगातार संघर्षों के बदौलत एमएएस ने अब तक 300 से अधिक श्रमिकों को बकाया वेतन भुगतान सुनिश्चित करने में कामयाबी हासिल की है। कंपनी प्रबंधन द्वारा ऐसे हथकंडे अपनाए जाते हैं जिससे श्रमिकों की स्थिति एक बंधुआ मजदूर जैसी हो जाती है। बिना पूर्व नोटिस या कारण के मजदूरों की मजदूरी रोक दी जाती है, चूंकि बकाया मजदूरी का राशि हजारों में होता है इस कारण श्रमिक बिना मजदूरी के फैक्टरी में बने रहने को मजबूर रहते हैं। अब मजदूर अपनी एकता और अस्मिता को पहचान चुके हैं और ऐसे अमानवीय स्थिति में अपने हाड़-तोड़ मेहनत का वाजिब मेहनताना मांग रहे हैं।

कॉरपोरेट-सरकार की सांठगांठ को मजदूर अब अच्छे से समझ रहे है इसलिए कुण्डली के श्रमिकों ने केंद्र सरकार द्वारा थोपे गए तीनों जन-विरोधी, किसान विरोधी कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमा पर डेरा डाले हुए किसानों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े है। मजदूरों ने किसानों के साथ खुद को जोड़ने का फैसला किया और देश के लोगों को यातना दे कर सारा मुनाफा अपनी जेबों में भरने वाली ताकतों का विरोध किया। एमएएस ने किसान एकजुटता के साथ मिल कर कई रैलियां भी किया, आंदोलन को सफल बनाने में महत्वपूर्ण स्थलों को चिह्नित करते हुए श्रमिकों और किसानों ने संयुक्त रूप से कई कार्यक्रमों का आयोजन भी किया।

28 दिसंबर 2020 को बकाया मजदूरी की मांग करने वाले ऐसे ही एक कार्यक्रम में QRT (Quick Response Team) ने श्रमिकों पर गोलीबारी किया। जब एमएएस कार्यकर्ता इसकी शिकायत दर्ज करने के लिए पुलिस स्टेशन गए तो पुलिस ने एफआईआर दर्ज करने से इनकार कर दिया। कार्यकर्ताओं ने सोनीपत में पुलिस अधीक्षक को पत्र भी लिखा लेकिन उनसे भी कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली। QRT ने बयान दिया कि उसने निहत्थे श्रमिकों के खिलाफ ‘आत्मरक्षा’ में गोली चलाई। वहीं हरियाणा पुलिस ने किसी प्रकार के गोलीबारी नहीं होने का दावा किया, पुलिस ने उल्टा श्रमिकों के खिलाफ ही ‘जबरन वसूली’ का मामला दर्ज कर दिया।

अब हिंदू जागृति मंच, औद्योगिक संघ और हरियाणा पुलिस किसानों और श्रमिकों के बीच हुए एकजुटता को सरकार के लिए खतरा महसूस कर रहे है। उन्होंने इस एकता को तोड़ने के कई हथकंडे भी अपनाएं, जिसमें कार्यक्रमों और रैलियों का हिंसक दमन, श्रमिकों पर गोलीबारी, श्रमिकों का बकाया मजदूरी की मांग को जबरन वसूली बताना, यहां तक ​​कि मीडिया के समक्ष श्रमिकों और किसानों को बदनाम करना भी शामिल है। जब इस एकता को तोड़ने में सफल नहीं हो सके तो नोदीप कौर को गिरफ्तार कर हिरासत में उसके साथ यौन हिंसा किया जा रहा है और यातना दी जाती है। इस तरह के अत्याचार का मतलब पुलिस मजदूरों को अंजाम भुगतने की धमकी देने जैसा है।

उन्हें शायद अब तक मालूम हो गया होगा कि इस प्रकार के यातनाओं से नवदीप कौर जैसी योद्धा टूटने वाली नहीं है। आज जब पुलिस के दमन, उत्पीड़न के कारण जेलों और पुलिस थानों में सीसीटीवी कैमरों के इस्तेमाल करने को लेकर लंबी बहस जारी है ऐसे समय में पुलिस हिरासत में हुए अत्याचारों से उनके सिस्टम में मौजूद बेईमानी को उजागर कर रहा है। कार्यकर्ताओं पर फायरिंग करने से लेकर पुरुष अधिकारियों द्वारा एक महिला को बेरहमी से पीटना वह भी उसके गुप्तांगों को निशाना बनाते हुए, इससे ज्यादा शर्मनाक भला क्या हो सकता है! कारखानों के मालिकों, मैनेजमेंट, ठेकेदारों, सशस्त्र गुंडों और पुलिस ने मिलकर बिलकुल गैंग के तरह एक युवा दलित महिला को निशाना बनाया है। इसके साथ साथ मीडिया भी उसे बदनाम करने के लिए पुलिस पक्षीय भाषा के साथ-साथ उस पर लगाए गए एकतरफा आरोपों को दिखा रहा है। जो दो एफआईआर नोदीप कौर के खिलाफ दर्ज की गई हैं, जिसमें से एक कंपनी के अकाउंटेंट द्वारा और दूसरी पुलिस कर्मियों द्वारा, वो स्पष्ट रूप से नोदीप कौर की पहचान सार्वजनिक कर रहे हैं। मीडिया उन्हें एक डंडा-लाठी चलाने वाले अपराधी के रूप में पेश कर पुलिस बर्बरता को वैधता प्रदान करने के उद्देश्य से हर स्तर को पार कर रहा है। इसी तरह की क्रूरता किसान अंदोलन में किसानों के खिलाफ भी देखी जा रही है, हिन्दू जागृति मंच के गुंडों जैसा ही एक प्रतिक्रियावादी भीड़ पुलिस बल के साथ आंसू-गैस, लाठियां, पत्थर चलाते देखा गया है, जो बाद में भाजपा के लोग पाए जाते हैं।

किसानों और श्रमिकों के बीच हुई इस एकता को तोड़ने के कई अथक प्रयास किए जा रहे है; लाठी, आंसू गैस, बदनामी अभियान, गिरफ्तारी। अपने कॉरपोरेट मास्टरों के इशारों पर नाचती हरियाणा पुलिस मालिकों को खुश करने कि बेचैनी में अपनी स्त्री विरोधी, ब्राह्मणवादी छवि बनाए रखने के लिए क्रूर शारीरिक और यौन हिंसा का सहारा लेकर नोदीप कौर जैसे श्रमिकों पर अत्याचार करता है। फिर भी, एक भूमिहीन किसान परिवार से 24 वर्षीय दलित कार्यकर्ता की दृढ़ आवाज चुनौती के प्रतीक के रूप में प्रकट होती है; सत्ता में बैठे लोगों के लिए उसकी आवाज एक ललकार है। क्या आप नोदीप कौर की आवाज सुन पा रहे हैं? क्या हममें उनके लिए आवाज बुलंद करने की हिम्मत है?

हमारी मांगें:

  1. नोदीप कौर को तुरंत रिहा करें और उसके खिलाफ एफआईआर खारिज करें। साथ ही उनके जैसे तमाम मजदूरों, कार्यकर्ताओं तथा पत्रकारों जिन्हें फ़र्ज़ी मामलों में जेल भेजा गया है, उन्हें तुरंत रिहा कर उनके खिलाफ दर्ज मामलों को खारिज किया जाए।
  2. नोदीप कौर के खिलाफ यौन हिंसा सहित कस्टोडियल हिंसा के लिए जिम्मेदार पुलिस अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई हो। अनुसूचित जाति – अनुसूचित जनजाति (अत्याचार रोकथाम) अधिनियम के प्रावधानों के तहत भी कार्यवाई हो।
  3. कुण्डली औद्योगिक क्षेत्र में कामगार मजदूर (एमएएस) श्रमिकों को निशाना बनाना बंद करे।
  4. कुण्डली इंडस्ट्रियल एसोसिएशन, क्विक रिस्पांस टीम के सशस्त्र गार्डों की तत्काल विघटन और इन गैर सरकारी सशस्त्र बलों की गतिविधियों की जांच हो, विशेषकर 28 दिसंबर 2020 को श्रमिकों पर गोलीबारी की घटना।
  5. श्रमिकों के बकाया मजदूरी का भुगतान सुनिश्चित करें और कुण्डली औद्योगिक क्षेत्र में श्रम कानून के उल्लंघन की जांच हो।

यौनिक हिंसा एवं राजकीय दमन के खिलाफ महिलाएं (WSS)
संयोजक: आलोका, महीन, निशा, रंजना, शोहिनी
संपर्क: againstsexualviolence@gmail.com

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