तीन कृषि क़ानूनों को वापस लो !!
पितृसत्ता के खिलाफ खड़े हो !!
WSS की तरफ से सार्वजनिक बयान
4 मई, 2021
यौन हिंसा और राजकीय दमन के खिलाफ महिलाएँ (WSS), दृढ़ता से और बिना शर्तों के उन महिलाओं/पीड़ितों के समर्थन में है जिन्होंने विभिन्न आंदोलनों जैसे ट्रॉली टाइम्स, स्वराज अभियान और स्टूडेंट्स फॉर सोसाइटी(SFS) के कार्यकर्ताओं के खिलाफ सोशल मीडिया में यौन उत्पीड़न, उत्पीड़न और अन्य प्रकार की हिंसा के अनुभव साझा किए है। हम इन महिलाओं/ सरवाईवर्स के शुक्रगुज़ार हैं कि उन्होंने अपने दर्दनाक अनुभवों को साझा करने का साहस जुटाया। यह महिलाएँ/ सरवाईवर्स वे हैं जो तीन नए कृषि अधिनियमों को निरस्त करने की मांग करने वाले आंदोलनों में सक्रिय रही हैं जिसका नेतृत्व किसानों और खेतिहर मजदूरों के संगठनों द्वारा किया जा रहा है। इन महिलाओं द्वारा नामित आरोपी भी इन्हीं प्रगतिशील संगठनों और स्थानों में सक्रिय थे।
25 वर्षीय मोमिता बासु की मौत पर हमें गहरा शोक है। वह बहादुरगढ़ के एक अस्पताल में 30 अप्रैल को कोविड संक्रमण से चल बसी। वह किसान सामाजिक सेना की बंगाल यात्रा के बाद उनके साथ हरियाणा की टिकरी बॉर्डर पर आई। जैसा कि करीबी सूत्र बताते हैं, वह संगठन के वरिष्ठ सदस्यों के निरंतर उत्पीड़न से खुद को बचाने के लिए संघर्ष कर रही थीं। न्याय पाने के बजाय उसे वापस बंगाल लौटने के लिए कहा गया। शायद किसान यूनियनों के अंदर खुद इस तरह की शिकायतों के निवारण के लिये कोई प्रणाली या ऐसे कौशल रखने वाले लोग ही नहीं है।
दिल्ली की सीमाओं पर तीन कृषि क़ानूनों को निरस्त करने के लिए चल रहे विरोध प्रदर्शनों के पूर्ण समर्थन में WSS खड़ा है, इसके साथ ही हमारा यह मानना है कि अगर आंदोलन के अंदर हमारे हर सदस्य सुरक्षा और समर्थन का माहौल महसूस करते हैं तो हमारा आंदोलन और भी मजबूत हो सकता है। इस पृष्ठभूमि में, WSS सभी कामरेड और साथियों से इन बातों पे ध्यान देने का आग्रह करता है:
- महिलाओं/ सरवाईवर्स द्वारा शिकायत किये जाने की स्थिति में उन्हें विरोध स्थलों को छोड़ने के लिए नहीं कहा जाना चाहिए। संगठनात्मक नेतृत्व की जिम्मेदारी है की वह ऐसे में लोगों को सुरक्षित महसूस करवाये और उन्हें यह आश्वासन दे कि संगठन उनके समर्थन में खड़ा है और इसके लिए उपयुक्त संसाधन उपलब्ध कराये। महिलाओं के अनुभवों को खुले दिमाग से सुना जाना महत्वपूर्ण है। महिलाओं/ सरवाईवर्स के हित को ध्यान में रखते हुए, उनकी शिकायत का निवारण और आरोपियों को जवाबदेह ठहराया जाना महत्वपूर्ण है।
- आंतरिक शिकायत समितियों (ICCs) की स्थापना का कार्य तत्काल किया जा सकता है। सभी किसान संगठनों, खासकर संयुक्त किसान मोर्चा और BKU- EKTA (उग्राहन) द्वारा उनकी ICC के सदस्यों का संपर्क व्यापक रूप से साझा किया जाना चाहिये।
- किसी भी रूप में यौन उत्पीड़न या यौन हिंसा को सहन नहीं किया जाना चाहिए, न उसे कमतर आँकना चाहिये और न ही उसपे चुप्पी साधनी चाहिए। संगठनों द्वारा यह संदेश सभी को जाना चाहिये और इसका व्यापक रूप से प्रसार (आंदोलनों के भीतर और बाहर) किया जाना चाहिए। WSS का मानना है कि संगठनों को, संगठन से बाहर के व्यक्ति द्वारा किए गये यौन हिंसा के गंभीर आरोपों को भी नजरअंदाज या खारिज नहीं करना चाहिए।
- संगठनों द्वारा आरोपों पर कार्यवाही की प्रक्रिया दो व्यक्तियों के बीच आपसी सहमति के सिद्धांत पर आधारित होनी चाहिए, न कि यौन संबंधों को पूर्वाग्रहों से देखते हुए, या सहमति वाले यौन सम्बंधों को गलत धारणाओं (जैसे प्रोफेशनल व्यवहार की कमी आदि) के साथ जोड़ते हुए।
हमारे विचार में, यह विभिन्न प्रगतिशील और नारीवादी संगठनों के लिए आंदोलनों में एक प्रभावी जवाबदेह प्रणाली और उपाय तंत्र बनाने की चर्चा छेड़ने और उसमें जुड़ने का अवसर है। जवाबदेही प्रक्रियाएँ शुरुआत में असुविधाजनक लग सकती हैं लेकिन लंबे अरसे में वे हमारे आंदोलनों को मजबूत और लचीला बनाती है, ऐसा हमारा मानना है।
राजकीय दमन और पितृसत्ता के खिलाफ हमारी लड़ाई यह माँग करती है कि हम ऐसे हिंसक और हिंसक व्यवहारों से निपटने के लिए समय और संसाधन समर्पित करें, महिलाओं/ सरवाईवर्स को सुनें और आश्वासन दें कि हम उनके साथ हैं और आरोपियों को उनकी हिंसा के लिये जिम्मेदार और जवाबदेह ठहराने के तरीके ढूँढे। साथ ही खुद को और एक दूसरे को अंतरंग/यौन संबंधों और आचरण के बारे में शिक्षित करें, सिर्फ बाहरी दुनिया में नहीं बल्कि अपने निजी जीवन में और अपने आंदोलन स्थलों के रिश्तों में भी।
हमारे सामूहिक अनुभव में, संगठन या आंदोलन स्थान भी अपनी असमानताओं, विशेष रूप से जाति, धर्म और लिंग आधारित असमानताओं से अछूते नहीं हैं। दमनकारी राज्य और उसकी नीतियों के खिलाफ लड़ाई को हमारे ठोस और एकजुट प्रयास की आवश्यकता है; फिर भी यह एकता भेदभाव, जातिवाद या सदस्यों के अपने स्वयं के साथियों और दोस्तों के प्रति पितृसत्तात्मक व्यवहार के साथ चलती दिखती है। जब राजनीतिक सक्रियता एवं आंदोलन की दुनिया में सदस्यों का ऐसे पीड़ादायक व अनपेक्षित अनुभवों से पाला पड़ता है तो कई युवा महिलाओं और ट्रांस साथियों का यकीन टूटता है और वह आंदोलनों से पीछे हट जाते हैं। वास्तव में, विषम-मानकीय (hetero-normative) ब्राह्मणवादी पितृसत्ता का बोझ सब के लिए विनाशकारी और कमजोर करने वाला साबित होता है। हम चिंतित हैं कि संगठनों के इस तरह के मुद्दों/शिकायतों को संबोधित करने की अक्षमता सदस्यों को संगठनों से दूर करती है। इसके अलावा, ऐसे मुद्दों के सार्वजनिक होने के बाद प्रगतिशील संगठनों और लोगों की चुप्पी और उनके द्वारा कोई ठोस प्रतिक्रिया न देना मामले को और जटिल बनाता है। इस कारण से WSS का मानना है कि हमें ऐसे सभी घटनाओं में बोलने की जरूरत है, खासकर तब जब सदस्य WSS से हस्तक्षेप की माँग करते हैं।
हम महिलाओं और अन्य शोषित जेंडर के व्यक्तिओं को अपने पसंद के आंदोलनों में राजनीतिक रूप से सक्रिय होने के लिए परिवार के भीतर और सड़कों पर कई लड़ाइयाँ लड़नी पड़ती हैं। रोजमर्रा की पितृसत्तात्मक हिंसा से जूझते हुए महिला और ट्रांसजेंडर साथी हिंसा के खिलाफ आवाज उठाते हैं – चाहे वो आपबीती हो या हाथरस या कठुआ में हो रही घटनाएँ हों। हमारे संगठन, आंदोलन और अभियान के स्थानों को अनुकूल बनाना एक जरूरी राजनीतिक कार्य है, जिसके लिए हमें उतनी ही ईमानदारी से ध्यान देने की जरूरत है जितना कि अन्य बड़ी लड़ाइयों पर। ऐसे ही हम औरों के साथ राजनैतिक एकजुटता स्थापित कर पायेंगे और सुनिश्चित कर पाएँगे की अन्य लोगों को आंदोलनों में मुश्किलों का सामना न करना पड़े।
महिलाओं और ट्रांसजेंडर साथियों के लिए आंदोलन की जगह सुरक्षित करें!
निशा, रंजना, महीन, अलोका और शोहिनी
(WSS की ओर से)